Types of Millets in hindi | मिलेट्स क्या है तथा इसके प्रकार |

Millets in hindi

मिलेट (Millets) एक अनाज है जो खाद्य फसल के रूप में उगाई जाती है। यह एक प्राचीन फसल है जो दो तरह के अनाजों से बनता है एक तो मोटे अनाज वाला, और दूसरा छोटे दानों वाला अनाज और प्रमुख रूप से अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में उगाई जाती है। Millets एक बहुत ही पौष्टिक अनाज है जिसमें कई पोषक तत्व और विटामिन्स होते हैं।इसी लिए बाजार में इसका नाम रहता है।
Millets के अनाज को बीज के रूप में, दाना के रूप में और अन्य फॉर्म में उपयोग किया जाता है। यह एक शोषक और अपारिथ्य फसल है जो कम जल के माध्यम से भी अच्छे रूप से उगाई जा सकती है। इसे बाकी अनाजों के साथ मिश्रित करके रोटी, पोहा, उपमा, पुलाव और दूसरे खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाता है।इसी लिए यह इतना फेमस रहा हे क्योकि । इसे एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ के रूप में माना जाता यह ग्लूटेन-मुक्त होती है, जिसके कारण वे ग्लूटेन संवर्धित बीमारियों के लिए हमेसाहि एक अच्छा घरेलु विकल्प होती हैं।
Millets को अपने पौष्टिकता और स्वाद के लिए प्रसिद्धता मिलते आ रही हे क्योकि यह विशेष रूप से शाकाहारी, वेजिटेरियन और ग्लूटेन-मुक्त आहार है और इसी लिए अनुयायियों के बीच ए इतना प्रिय है।
अनाज को तीन श्रेणी में रखा गया है।
Negative Grains : इनका लगातार उपियोग और सेबन करते रहने से भविष्य में कई तरह दिक्कत आ सकती है और बीमारियों की सम्भावना रहे जाती है । जैसे- गेहूं, चावल आदि।
Neutral Grains : ये अनाज ग्लूटेन मुक्त होते हैं इसे मोटा अनाज भी कहलाता है। इनके सेवन से भविष्य में शरीर में कोई बीमारी की सम्भावना नही होती है । यह शरीर को स्वस्थ रखता है ये जैसे- बाजरा, ज्वार रागी और प्रोसो।
Positive Grains : पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत छोटे अनाज आते हैं। जैसे- कंगनी, सामा, सनवा, कोदो और छोटी कंगनी आदि।
Neutral grains और positive grains को संयुक्त रूप से मिलेट कहा जाता है।

What is Positive Millet in hindi ? पॉजिटिव मिलेट क्या है |

Positive Millets in hindi – पॉजिटिव मिलेट उन अनाज को कहा जाता है जो पॉजिटिव ग्रेन्स के अंतर्गत आते हैं। इन्हें सिरिधान्य भी कहा जाता है। सभी पॉजिटिव मिलेट पोएसी फैमिली के अंतर्गत आते हैं। ये अनाज कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। ये अनाज आकार में बहुत छोटे होते हैं।

पॉजिटिव मिलेटस फाइबर से भरपूर होते हैं। आप चाहो तो हर समय पका नही सकते है क्योकि इन्हें पकाने से पहले 6 से 8 घंटे पानी में भिगोकर रखना होता है ताकि उनके फाइबर नरम हो सके। इन मिलेट्स को मिक्स करके नहीं पकाया जाता पॉजिटिव मिलेट के अंतर्गत पांच मिलेट आते हैं-

Foxtail Millet ( कंगनी)

Little Millet ( सामा, कुटकी)

Barnyard Millet ( सांवा, सनवा)

Kodo Millet ( कोदो)

Browntop Millet (छोटी कंगनी हरी कंगनी )

Different Types of Millets in Hindi | विभिन्न प्रकार के मिलेटस |

Types of millets in hindi – यहाँ 9 तरह के पाए जाने वाले मिलेटस (9 Types of Millets in Hindi) के बारे में बताया गया है जिनको siridhanya भी कहते हैं |

  • ज्वार (Sorghum Millet)
  • बाजरा (Pearl Millet)
  • रागी (Finger Millet)
  • पुनर्वा’ बाजरा (Proso Millet)
  • कोदो बाजरा (Kodo Millet)
  • छोटी कंगनी / हरी कंगनी बाजरा (Browntop Millet)
  • सांवा या सनवा बाजरा (Barnyard Millet)
  • कंगनी बाजरा (Foxtail Millet)
  • कुटकी बाजरा (Little Millet)

ज्वार (Sorghum)

ज्वार एक अहम खाद्य फसल है इसे कई प्रजाति की खेती की जाती है प्राचीन समय से जिनमें से अधिकतर पशु के चारे के लिए उगाई जाती है। ज्वार की एक प्रजाति sorghum bicolor जो खाने के काम आती है। इसे डायबिटीज में और वजन कम करने के लिए अच्छा अनाज बताया जाता है जो की हमारे स्वस्थ के लिए बोहुति अच्छा होता हे | इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसे सालों भर खाया जा सकता है। इसकी रोटी ज्यादा पसंद की जाती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है जैसे विटामिन बी, मैग्नेशियम, फ्लेवोनॉइड, फेनोलिक एसिड और टैनेन होता है इसके साथ साथ फाइबर होने के कारण इसके सेवन से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं जो की हमारे लिए बोहुति अच्छा हे। यह ग्लूटेन मुक्त अनाज है और आसानी से उपलब्ध हो जाता है |

बाजरा (Pearl Millet)

बाजरा (pearl millet) एक मोटा अनाज है जो सबसे ज्यादा उगाया जाता है और सबसे ज्यादा खाया जाता है। भारत और अफ्रीका में बाजरे की सबसे अधिक खेती होती है। इसे बजरी या कंबू के नाम से भी जाना जाता है। बाजरा को कम सिंचाई वाले इलाकों में भी उगाया जा सकता है और यह उन इलाकों के लिए एक वरदान है बाजरे के दाने को अलग करने के बाद, इसे पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, बाजरे के फसल अवशेषों से जैव ईंधन बनाया जाता है।

बाजरे में प्रोटीन, फाइबर, अमीनो एसिड जैसे कई न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो स्वस्थ आहार के रूप में उपयोगी होते हैं। बाजरे से ब्रेड, दलिया, कुकीज और अन्य विभिन्न व्यंजन बनाए जाते हैं।इसके सेवन से शरीर मजबूत बनता है , हड्डियां मजबूत होती है , खून की कमी पूरी होती है ,कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है, कैंसर की सम्भावना कम होती है ,कब्ज की समस्या ठीक होती है। अस्थमा में भी इसके सेवन से राहत मिलता है और शुगर का स्तर कम होता है। जिसको थायराइड की समस्या हो उन्हें प्रतिदिन बाजरा नहीं खानी चाहिए |

रागी (Finger Millet)

रागी (Finger Millet) एक महान्य फसल है जो खाद्य ग्रेन के रूप में उगाई जाती है। यह दक्षिण एशिया की मुख्य फसल है और पोषणपूर्ण ग्रेन के रूप में महत्वपूर्ण है। रागी का उपयोग रोटी, डोसा, इडली, पोरिड्ज और बेकरी उत्पादों में होता है। रागी कैल्शियम का बेहतरीन श्रोत मना जाता है इसमें फाइबर, पोटैशियम, आयरन और विटामिन सी होता है।

रागी का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह हृदय रोगों को रोकता है, मधुमेह को नियंत्रित रखता है, रक्त शर्करा को कम करता है और डाइजेस्टिव सिस्टम को स्वस्थ रखता है।

पुनर्वा बाजरा (Proso Millet)

पुनर्वा बाजरा (proso millet) एक प्रकार का अनाज होता है जो धान के समान उत्पादित किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम “Panicum miliaceum” है। इसकी खेती दक्षिण एशिया, यूरोप और अफ्रीका में व्यापक रूप से की जाती है प्रोसो बाजरा के दाने छोटे होते हैं और सफ़ेद रंग के होते हैं। इसमें कई पोषक तत्व और विटामिन्स होते हैं जैसे कि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B6, फॉलिक एसिड और नियासिन। इसके अलावा, कुछ मिनरल्स जैसे कि कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और सोडियम होते हैं।

इसके सेवन से खून की कमी नहीं होती ,वजन नियंत्रित रहता है ,डायबिटीज का खतरा कम जाता है , मानसिक व्याधियों से बचाव होता है तथा ह्रदय को स्वस्थ रखने में मदद मिलता है।

कोदो बाजरा (Kodo Millet)

कोदो मिलेट को हिंदी में कोदो या केद्रव कहते हैं उसके साथ साथ इसको ब्लड प्यूरीफायर भी कहा जता है | यह पॉजिटिव मिलेट का ही भाग है । कोदो मिलेट भी छोटा अनाज होता है। यह लाल रंग का होता है। औषधीय गुणों से भरपूर कोदो कफ और पित्त दोष को शांत करता है। इसका सेवन लिवर और किडनी के लिए भी फायदेमंद होता है और किडनी संबंधी रोगों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है।

इसमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। ग्लूटेन मुक्त कोदो नर्वस सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है। इसे पकाने से पहले लगभग 6 से 8 घंटे के लिए भिगोकर रखना चाहिए।

इसके सेवन से डायबिटीज ,हार्ट डिजीज , कैंसर और पेट सम्बन्धी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

छोटी कंगनी / हरी कंगनी बाजरा (Browntop Millet)

ब्राउनटॉप एक पॉजिटिव मिलेट है जिसकी ऊपरी परत ब्राउन रंग की होती है, जिसे इसके नाम के रूप में उल्लेख किया जाता है। इसके गुण कंगनी से मिलते जुलते हैं इसलिए इसे हरी कंगनी और छोटी कंगनी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी धातुओं का रंग हल्का हरा होता है। यह फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है और ग्लूटेन मुक्त होने के कारण इसे अलर्जी वाले लोग भी सेवन कर सकते हैं।

इसके विटामिन ए और विटामिन सी के साथ-साथ विटामिन B 17 भी होता है जो कैंसर से लड़ने में मदद करता है। ब्राउनटॉप के सेवन से डायबिटीज, हृदय रोग और पेट संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। इसका सेवन एडिक्शन से रिकवरी करने में भी मदद करता है।

सांवा या सनवा बाजरा (Barnyard Millet)

बार्नयार्ड को हिंदी में सांवा या सनवा कहते हैं। यह बार्नयार्ड के नाम से ज्यादा प्रचलित है। यह पांच पॉजिटिव मिलेट में से एक है। यह कम समय में तैयार होने वाली फसल है। 45 से 60 दिन के अंदर यह काटने के लिए तैयार हो जाता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं इसके साथ साथ प्रोटीन और आयरन की मात्रा बार्नयार्ड में अन्य अनाज से ज्यादा है।

इसके सेवन से खून की कमी(Leukemia) दूर होती है ,शरीर मजबूत बनता है। डायबिटीज , हार्ट डिजीज ,कैंसर में खाने लायक यह अनाज है। इसके सेवन से शरीर के अंदरूनी अंगों को ताकत मिलती है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है। इसके सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है और साथ ही यह शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है । इसे भिगोकर अम्बलि , खिचड़ी ,डोसा ,इडली ,उपमा आदि बनाया जा सकता है।

कंगनी बाजरा (Foxtail Millet)

फॉक्सटेल मिलेट अर्थात कंगनी एक पॉजिटिव मिलेट है जो प्राचीन फसलों में से एक है। दक्षिण भारतीय उपमहाद्वीप में इसकी खेती की जाती है। इसकी पौष्टिकता और इसे खाने से होने वाले फायदों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यह पीले रंग का छोटा दाना होता है। इसमें फाइबर की मात्रा अच्छी होती है। यह प्रोटीन का भी बहुत अच्छा श्रोत है। इसमें एमिनो एसिड्स, प्लांट कंपाउंड्स ,विटामिन्स और कई मिनरल्स होते हैं।

इसे बीटा कैरोटीन का मुख्य श्रोत माना जाता है। इसे नर्वस सिस्टम के लिए सुपर फ़ूड कहा जाता है। इसके बीजों का उपयोग अन्न, रोटी, पुलाव, उपमा और खिचड़ी में होता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फाइबर होता है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है | यह बुखार में दिया जाये तो बुखार ठीक होता है। ह्रदय सम्बन्धी बीमारी ,डायबिटीज ,पेट सम्बन्धी समस्या ,रक्तहीनता ,जोड़ों के दर्द , भूख की कमी , मूत्र विसर्जन के समय जलन , जलने से होने वाले घाव इत्यादि सभी परेशानी में कंगनी का सेवन करना चाहिए। इससे ये सभी समस्याएं ठीक होती हैं। इसे पकाने से पहले 6 से 8 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखना होता है |

कुटकी बाजरा (Little Millet)

कुटकी भी एक पॉजिटिव मिलेट है।इसे बहुत आसानी से उगाया जा सकता है| इसे मुख्य रूप से जंगली भूमि में उगाया जाता है। उगाने के लिए न ज्यादा गर्मी और न ज्यादा सर्दी की आवश्यकता होती है। सभी सिरिधान्य अपने पोषक तत्व , एमिनो एसिड तथा प्लांट कंपाउंड्स के आधार पर विशेष गुण को धारण करते हैं। यह प्रोटीन ,फाइबर और आयरन का बहुत बढ़िया श्रोत है | और ग्लूटेन-मुक्त होती है। इसे रोटी, पुलाव, खिचड़ी और पापड़ में शामिल किया जाता है।

कुटकी के सेवन से डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है। यह ह्रदय के लिए भी अच्छा अनाज है। माइग्रेन में इसके सेवन से आराम मिलता है। यह एसिडिटी , अजीर्ण ,खट्टा डकार जैसी समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसे हार्मोन का संतुलन बनाये रखने के लिए अच्छा बताया जाता है। इसके सेवन से पुरुष और महिलाओं दोनों के प्रजनन तंत्र स्वस्थ होते हैं। नपुंसकता और बांझपन से भी यह बचाता है। इसका उपियोग present time के लिए हमारे पास एक अच्छा सौर्स है।

Health benefits of Millets in hindi | मिलेटस से बीमारियों मे लाभ

मिलेट्स एक छोटे अनाज होने के साथ साथ इसका उपियोग ब सेवन कई बीमारियों में लाभदायक हो सकता है। यहाँ कुछ मुख्य बीमारियों के उदाहरण दिए गए हैं जिनमें मिलेट्स का सेवन फायदेमंद हो सकता है:

हृदय रोग (Heart Disease): मिलेट्स में नियमित रूप से उच्च प्रोटीन, फाइबर और अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) पाया जाता है, जो हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है। इन गुणधर्मों के कारण, मिलेट्स हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

मोटापा (Obesity): मिलेट्स का सेवन मोटापे के नियंत्रण में मदद कर सकता है। ये पौष्टिक अनाज व्यक्ति को अधिक समय तक भूख नहीं लगने देते हैं और उन्हें उचित पोषण प्रदान करते हैं जो हमारे शरीर के लिए बिल्कुल सही है। यह वजन कम करने और संतुलित वजन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

डायबिटीज (Diabetes): मिलेट्स का सेवन मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है। यह खाद्य मसलों के उचित प्रकोप को भी रोकता है और मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है। मिलेट्स में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो खाद्य पदार्थों के अवशोषण को धीमा करती है और रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित रखने में मदद करती है।

शरीरिक कमजोरी (Malnutrition): पोषक मानकों, विटामिन, और मिनरल्स की अच्छी मात्रा प्रदान करते हैं। इसलिए, इनका सेवन शरीरिक कमजोरी को दूर करने और पौष्टिकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

विटामिन और मिनरल की कमी: मिलेट्स विटामिन और मिनरल्स की अच्छी स्रोत होते हैं। इनमें फोलेट, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, और विटामिन सी आदि होते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

यहाँ उपरोक्त बीमारियों के अलावा भी millets सेवन अन्य रोगों, जैसे कि कैंसर, साइटोमेगलोवायरस, गैलस्ट्रोइंटेस्टिनल विकार, और मस्तिष्क संबंधी रोगों में भी लाभदायक हो सकता है। हालांकि, कृपया ध्यान दें कि इन रोगों के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी हैं!

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